राधिका ओझा को पैरा एथलीट्स उत्कृष्टता पुरस्कार 2025 मिला, दिव्यांग प्लेयर्स के लिए करती हैं काम

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नई दिल्ली: बीते कुछ साल में दिव्यांग खिलाड़ियों ने अलग-अलग मौके पर देश का सीना गर्व से चौड़ा किया है. तीरंदाज शीतल देवी, छोटी हाइट वाले नवदीप सिंह हो या फिर अवनीत लखेरा और सुमित अंतील. इन पैरा एथलीट्स ने पैकालंपिक से लेकर वर्ल्ड पैरा गेम्स में भारत को अनगिनत मेडल दिलाए. ऐसे ही स्पेशल प्लेयर्स के लिए जी-जान से काम करने वाली राधिका ओझा को राष्ट्रीय खेल उत्कृष्टता सामुदायिक ट्रेलब्लेजर पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया है.

छोटी हाइट वाले दिव्यांग नवदीप सिंह ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में जैवलिन थ्रो इवेंट में अपने जांबाज प्रदर्शन का लोहा मनवाया। उन्होंने गोल्ड मेडल जीतते हुए फ्रांस की राजधानी पेरिस में तिरंगा फहराया तो दोनों हाथ नहीं होने के बावजूद शीतल देवी ने इसी टूर्नामेंट में तीरंदाजी में इतिहास रचा। उनके नाम सिल्वर मेडल रहा। ये दो नाम तो सिर्फ उदाहरण हैं, करिश्माई दिव्यांग भारतीय एथलीटों की फेहरिस्त लंबी है। इनकी सफलता के पीछे स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) से लेकर खेलो इंडिया और TOPS यानी Target Olympic Podium Scheme का अहम रोल रहता है। देश के लिए कुछ ऐसे ही एथलीट और निकलें इसके लिए एक होनहार स्टूडेंट राधिका ओझा पिछले 4-5 सालों से अनवरत काम कर रही हैं। यही वजह हैं कि उन्हें दिव्यांग एथलीटों के लिए काम करने की वजह से राष्ट्रीय खेल उत्कृष्टता समुदाय ट्रेलब्लेजर पुरस्कार 2025से सम्मानित किया गया है।

राधिका को यह सम्मान दिव्यांग एथलीटों के लिए समावेशी खेल को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों के लिए मिला है। यह पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने समुदायों को बदलने के लिए समावेशी पहल की हैं। राधिका का काम उम्मीद और बदलाव की किरण बनकर उभरा है। यह पुरस्कार खेल में समानता, पहुंच और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने वाले दूरदर्शी लोगों को पहचानता है। राधिका की प्रतिबद्धता दर्शाती है कि युवा नेतृत्व वाले जमीनी प्रयास पूरे देश में परिवर्तन ला सकते हैं।

कौन हैं राधिका ओझा?
शिव नादर स्कूल, नोएडा की छात्रा राधिका ओझा को अलग-अलग तरह के पैरा एथलीटों के लिए स्पेशल प्लानिंग के लिए अवॉर्ड मिला है. इंटरनेशनल बैकलॉरिएट की पढ़ाई के साथ-साथ सामुदायिक सेवा में भी उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया है. यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को सम्मानित करता है, जिन्होंने समावेशी पहलों के माध्यम से बदलाव लाया है. राधिका की कोशिश से ये संदेश मिलता है कि युवाओं के नेतृत्व वाले प्रयास कई लोगों को प्रेरित कर सकते हैं.

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